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जमीन और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया जाय जातिगत भेदभाव करने वालो के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो

जमीन और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया जाय

जातिगत भेदभाव करने वालो के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो

प्रयागराज 17 सितम्बर, पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज का कहना है कि देश में जातिवादी सोच मिटाकर, समतामूलक समाज का निर्माण करने का काम करने, जातिवाद, भेदभाव छुआछूत मुक्त भारत निर्माण की साझी लड़ाई को प्रयागराज में पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) की महिलाओं के नेतृत्व में एक अभियान के तहत गांव गांव जाकर संविधान प्रदत्त अधिकारों के विषय मे जागरूक कर रहा है। पूर्वांचल दलित अधिकार मंच छुआछूत, जातिवाद, भेदभाव व अस्पृश्यता मुक्त भारत निर्माण के साथ साथ स्थाई रूप से जमीन और उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के लिये दलित समाज को एकजुट किया जा रहा है। उद्योगों के साथ भूमि का राष्ट्रीयकरण तथा भूमि सुधार के अंतर्गत भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को भूमि आवंटन कराने के संबंध में 24 सितम्बर को सिविल लाइन स्थित धरना प्रदर्शन स्थल पर आयोजित प्रदर्शन की तैयारी हेतु शनिवार को बारा तहसील के अंतर्गत आने वाले विकास खण्ड जसरा की ग्रामसभा छिड़ी में महिलाओं के नेतृत्व में रैली हेतु बैठक आयोजित की गई।

        पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने बताया कि संविधान शिल्पी डॉक्टर अम्बेडकर के निर्देशानुसार यदि कृषि और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए तो देश मे उक्त दोनों उत्पादन के साधनों से उत्पादन बढ़ेगा। वैसे उक्त दोनों उत्पादन के संसाधनों का मालिक राज्य है और संविधान के नीति निर्देशक योजना के अनुसार भी जमीनों का आवंटन मूलभूत भूमि सुधार लंबे समय से लंबित है। उत्तर प्रदेश भर में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की दयनीय दशा बढ़ गई है। क्योंकि कृषि जगत में कल- कारखानों के उपकरणों (ट्रैक्टर) के इस्तेमाल तथा बैलों द्वारा कृषि कार्य समाप्त होने की वजह से भूमिहीन कृषक मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी का साधन भी छिन गया है और वह गरीबी से बढ़कर कंगाल की श्रेणी में आ गया है। भूमिहीनों के पास पास उत्पादन का साधन तथा बेरोजगारी मिटाने का कोई उपाय नहीं है। ऐसी स्थिति में भूमि सुधार के तहत सूबे स्तर पर ग्रामसभा की ऊसर, बंजर, परती व सरकारी तथा समाज कल्याण विभाग द्वारा क्रय की गई भूमि व सीलिंग से घोषित अतिरिक्त तथा बेनामी जमीनों को अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों में आवंटित करने की सख्त जरूरत है। यह काम सरकारी स्तर से बहुत लंबे समय से लंबित है। आश्चर्य तो दूसरी बात यह भी है की अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति की पुरानी पुश्तैनी आबादी वाली भूमि मौके के अनुसार आबादी में दर्ज हो ही नहीं रही है। लेखपाल मौके के आधार पर फसलों में अनुसूचित जाति की अवादी दर्ज ही नहीं करते जिसका लाभ उठाकर पुलिस प्रशासन तथा राजस्व विभाग की लचर व्यवस्था के कारण क्षेत्रीय गुण्डे, भू-माफिया उजाड़ कर बेघर कर दे रहे हैं।

     आज की इस बैठक मे दशरथ लाल, बद्री प्रसाद, कांधालाल, श्याम बिहारी, नन्हके, रामनाथ, रामदेव, सुनील कुमार, अनिल कुमार, रामभजन, बृजकिशोर, विजय प्रकाश, गौरीशंकर, दीपक, अनूप कुमार, रामपति, चंद्रकली, उर्मिला देवी, संतोषा देवी, शांति, निशा, किरण, गुड्डी, रखा देवी आदि सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।

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