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नायक पूजा (Hero Worship) भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा*भारतीय समाज में सामाजिक व आर्थिक समानता का अभाव है।

*नायक पूजा (Hero Worship) भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा*

भारतीय समाज में सामाजिक व आर्थिक समानता का अभाव है।

भारत के लोकतंत्र को एक गंभीर बात से खतरा है वह है नायक पूजा । इस देश की राजनीति में जितनी भक्ति और नायक पूजा है उतनी अन्य किसी देश में नहीं है ।  जॉन स्टूअर्ट मिल ने कहा था कि कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों ना हो उसके चरणों में अपनी आजादी कभी अर्पित नहीं करनी चाहिए । उसे इतनी शक्ति नहीं देनी चाहिए कि वह हमारी सत्ता के विनाश का कारण बन जाए ।  जिन लोगों ने देश की सेवा की है उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना कोई गलत नहीं लेकिन इसकी भी सीमा होती है जैसे आयरलैंड के देशभक्त डेनियल कैनल ने कहा है कि कोई व्यक्ति अपना सम्मान गवां कर यानी स्वाभिमान की बलि देकर या कोई भी स्त्री अपना सतीत्व भंग करवा कर धन्यवाद अदा नहीं कर सकती और कोई राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता खोकर कृतज्ञता प्रकट नहीं कर सकता । इसी प्रकार किसी महापुरुष की भक्ति में अपना सर्वस्व न्यौछावर नहीं किया जा सकता है । भारत के संबंध में ज्यादा ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि यहां राजनीति में व्यक्ति पूजा सीमा से बाहर है।  धर्म में भक्ति मन की आत्मा की मुक्ति मार्ग दिखा सकती है लेकिन राजनीति में नायक पूजा पतन की ओर धकेलती है और अंत में तानाशाही की ओर ले जाती है हमें केवल राजनीतिक लोकतंत्र से ही संतोष नहीं करना चाहिए ।  हमें यह कोशिश लगातार करनी चाहिए कि प्रजातंत्र हमारे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी पूरी तरह समा जाए यानी प्रजातंत्र सिर्फ राजनीतिक ही नहीं बल्कि आर्थिक और सामाजिक भी होना चाहिए । राजनीतिक लोकतंत्र तब तक कायम नहीं हो सकता जब तक उसकी बुनियाद में सामाजिक लोकतंत्र अर्थात स्वतंत्रता समानता व भाईचारा ना हो । समता के बिना स्वतंत्रता का अर्थ है बहुसंख्यकों पर मुट्ठी भर लोगों का राज । भाईचारे के बिना स्वतंत्रता और समानता स्वाभाविक सी बातें नहीं लगेगी ।   हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि भारतीय समाज में सामाजिक व आर्थिक समानता का अभाव है।