Breaking News

इस देश की समस्या मेरिट नहीं जाति और उससे उत्पन्न धारणा, मानसिकता, भेदभाव और विचारधारा है-आर पी विशाल

इस देश की समस्या मेरिट नहीं जाति और उससे उत्पन्न धारणा, मानसिकता, भेदभाव और विचारधारा है -आर पी विशाल

अमिताभ बच्चन, सैफ़ अली खान,दीपिका पादुकोण, मनोज भाजपाई, प्रतीक बब्बर इत्यादि अभिनीत फिल्म “आरक्षण देखा जाये तो बीच-बीच में कुछ ऐसे सीन हैं जिनमें समाज, सिस्टम और शिक्षा की तकनीकी खामियों पर बहुत गहराई से वास्तविक कटाक्ष किया हुआ है।

मैँ इस फ़िल्म के माध्यम से यही समझने की कोशिश कर रहा था कि यदि आरक्षण नहीं भी होता तब भी क्या समाज में समानता होती? जवाब यकीनन नहीं में हासिल हुआ। आरक्षण ने कम से कम लड़ने, भिड़ने की स्थिति में तो ला दिया समाज को अन्यथा हम किस्मत और नियति तक सीमित थे।
हमारे देश में या तो मेरिट की बात होती है या फिर अयोग्यता की। असुविधा, असमानता, अवसरों की उपलब्धता पर कभी बात नहीं होती। ना ही विचार किया जाता डोनेशन, रिलेशन, सिफारिश, पहुंच, रसूख, लेटरल एंट्री, बैक डोर एंट्री, रिश्वत, भ्रष्टाचार, पूंजीवाद, इत्यादि पर।
यानि रेस की स्टार्टिंग लाईन एक करने से सबको आपत्ति है लेकिन फिनिशिंग लाईन सबको एक चाहिये। क्या यह सम्भव है? उसमें भी जातिय खांचे इतने गहरे हैं कि अर्जुन के लिए द्रोणाचार्य हर जगह पर खड़े मिलेंगे जिनकी नज़र अर्जुन को काबिल बनाने से अधिक एकलव्य के अंगूठे पर है।
आज़ादी के बाद कितना बदलाव आया हमारे देश की व्यवस्था समाज और इंसानों की सोच में उसका उदाहरण हाल ही में यूपीएससी का रिजल्ट आया है जिसमें बिहार के जो शुभम कुमार टॉपर रहे। उनकी स्थिति पर नज़र डालो और 1950 की पहली परीक्षा में अछूतानंद दास की स्थिति को देखो।
ज्ञात हो कि 1950 में ‘संघ लोक सेवा आयोग’ ( UPSC ) दिल्ली, ने’ स्वतंत्र भारत’ में प्रथम ‘I.A.S.’ परीक्षा इसमें, ‘एन. कृष्णन’ प्रथम व् ‘अनिरुध गुप्ता’ का, 22वां और ‘अछूतानंद दास’, ‘चमार’ का सबसे अंतिम ‘48वां’ अर्थात ‘अंतिम’ स्थान आया जबकि ईमानदार व्यवस्था में वह प्रथम होते।
‘बंगाल’ का, ‘अछूतानंद दास’, चमार पहला ‘I.A.S.’ बना। लिखित परीक्षा में‘ अछूतानंद दास’ ने 613 अंक लेकर ‘प्रथम’ स्थान लिया, एन. कृष्णन’ ने 602 और ‘ए. गुप्ता’ को 449 अंक मिले। 300 अंक का ‘साक्षात्कार’ (इंटरव्यू ) जातिवादियो’ द्वारा लिया गया ‘।
जातिवादियो’ ने‘अछूतानंद दास’, ‘चमार’ को केवल 110 अंक ही दिए ; व् ‘एन. कृष्णन’ को 260 अंक और ‘ए. गुप्ता’को 265 अंक दिये। ‘सामान्य ज्ञान’ (जी.के.)की 100 अंकों की ‘लिखित’ परीक्षा में ‘अछूतानंद दास’, ‘चमार’ ने ’79’ अंक व् ‘एन. कृष्णन’ ने ‘69’ अंक और’ए. गुप्ता’ केवल ’40’ अंक ही प्राप्त कर सका।
‘सामान्य ज्ञान’ (जी.के.) की परीक्षा में ‘अछूतानंद दास’ ने, ’79’ अंक लेकर ‘टॉप’ किया । यदि ‘इंटरव्यू’, ‘जातिवादियो’ द्वारा नही लिया जाता या फिर ‘इंटरव्यू’,होता ही ना, तो ‘अछूतानंद दास’, ‘चमार’, ‘स्वतंत्र भारत’ की पहली ही ‘I.A.S.’ परीक्षा का ‘टॉपर ‘ होता।
‘एन. कृष्णन’ का 48 वां स्थान और ‘अनिरुध गुप्ता’ कभी भी ‘I.A.S.’ न बनता। इस तरह, ‘एन. कृष्णन’ को कुल = 931 अंक , ‘ए. गुप्ता’को कुल = 754 अंक, तथा ‘अछूतानंद दास’, को कुल = 802 अंक प्राप्त हुए। यदि ‘अछूतानंद दास’, ‘चमार’, को भी सबकी भांति ‘इंटरव्यू’, में 250 अंक दिए जाते तो उसे 942अंक मिलते तो वह ही देश का पहला ‘टापर’ होता ।
इंटरव्यू में तब से जाने कितने ही उदाहरण हैं और आज भी यही आलम शुभम कुमार कुशवाहा के साथ हुआ है। टॉप 10 टॉपर्स में शुभम को सबसे कम अंक साक्षात्कार में दिए गए हैं। इतने कम अंकों के बावजूद भी वह प्रथम स्थान हासिल करने में कामयाब हुआ सोचिये इतना बड़े अंतर के पीछे क्या कोई कारण नहीं रहा होगा?
फिर इस कारण से कितने अकारण अयोग्य बनाये होंगे? मैँ यह समस्त बातें हवा हवाई ही नहीं कह रहा हूँ। पिछले वर्ष दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने अपनी शोध रिपोर्ट में बताया था कि यदि दलित, आदिवासी, पिछड़े अपना उपनाम छुपा लें तो इंटरव्यू में वे अधिक अंक हासिल कर सकते हैं।
यानि इसका अर्थ है कि इस देश की समस्या मेरिट नहीं जाति और उससे उत्पन्न धारणा, मानसिकता, भेदभाव और विचारधारा है जिससे शिक्षक जिनपर किसी भी देश की व्यवस्था को बदलने, सुधारने, शिक्षित करने का भार व विश्वास होता है वे शिक्षक भी इस जातिय मकड़जाल, ज़हर से मुक्त न हो सके।

Check Also

निशा बांगरे कांग्रेस में शामिल टिकट मिलने के मामले में असमंजस कांग्रेस ने सीट गंवाई ॽ

🔊 इस खबर को सुने Kaliram पुर्व डिप्टी कलेक्टर श्रीमती निशा बागरे के इस्तीफा मंजूरी …