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निजी वाहन चालकों को बंधुआ मजदूर बनाकर आर्थिक शोषण कर रहे है वाहन मालिक।

सारनी – वेकोलि धीरे-धीरे निजी मालिकों के हाथों जाता दिख रहा है, कोयला खदानों के अंदर हो या बाहर ठेकेदारों की ठेकेदारी दिखने लगी है, किसी भी श्रम नियमों का पालन ठेकेदार के सामने कुछ मायने नही रखता है। ठेकेदार मजदूर से अपने मनमाफिक काम करवाता, मजदुरी देता है।वेकोलि पाथाखेड़ा क्षेत्र की खदानों में ठेकेदारों के जरिए जोखिम भरा काम करने वाले ठेकेदार के मजदूर सरेआम आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे है, वहीं पर महाप्रबंधक कार्यालय, खदानों, वर्कशॉप,हास्पीटल सेम्पलिंग में लगे निजी वाहन के आधार सेकड़ा चालकों को बंधुआ मजदूर बनाकर आर्थिक शोषण वाहन मालिक करने का मामला प्रकाश में आया है। जानकारी के अनुसार वेकोलि पाथाखेड़ा क्षेत्र के विभिन्न जगहों मे प्रत्येक तीन वर्षों में एक बार निविदा के जरिए निजी वाहन लगाए जाते है नमन इंटरप्राइजेज,अनवर,बोडखे,चौकीकर वर्मा निजी वाहन मालिकों के वाहन लगते रहे है। निविदा के अनुसार एक चालक से आठ-आठ घंटे वाहन चलाने का कार्य लेना चाहिए, लेकिन एक ही चालक से तीन चालकों का काम लेकर 24घंटे वाहन चलाने का कार्य लिया जाता है। सुत्र बताते है कि निविदा के हिसाब से एक वाहन चालक का मासिक वेतन 15हजार रूपए है लेकिन सात-आठ हजार रुपए दिए जाते है। वाहन मालिक बड़ी चालाकी से वाहन चालकों का आर्थिक शोषण करते हैं। चर्चा है कि वाहन मालिक  चालकों के बैंक खाता पास बुक और एटीएम पास में रख लेता है,चालकों के खाते पुरा वेतन डाल देता फिर चालकों से एटीएम से वेतन निकलवाता है,15 हजार रुपए में से सात हजार देकर बाकी वेतन की राशि रख लेता है। वाहन मालिक दो-दो,तीन- तीन महीने वेतन के लिए चक्कर में चक्कर चालकों को लगवाने का समाचार है। वाहन चालकों को पीएफ की राशि की न जानकारी होती ना ही वाहन चालकों को मिल पाती। आर्थिक शोषण का विरोध करने वाले चालकों को वाहन मालिक कार्य से बंद कर बाहर का रास्ता दिखा देता है। आर्थिक शोषण में भी कम वेतन में बंधुआ मजदूरों की तरह वाहन चालक काम करने के लिए मजबूर हैं।

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