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राजस्व न्यायालय के आदेश पर उठा कानून और न्याय का सवाल

राजस्व न्यायालय के आदेश पर उठा कानून और न्याय का सवाल
बैतूल। मप्र राज्य। खनिज अपराध में मामलों में न्यायालय कलेक्टर बैतूल की कार्यवाही एक बार फिर से विधि, न्याय एवं मानवाधिकारों के सवालों की न घेेेेरे में आ गई हैं। न्यायालय में खनिज अपराध के मामलों में खनिज विभाग बैतूल मप्र रेत नियम 2019 में खनिज के अवैध परिवहन, भण्डारण और उत्खन्न के मामलों में प्रशमन राशि जमा नहीं किए जाने की दषा में अर्थदण्ड आरोपित करने के लिए प्रकरण प्रस्तुत करता हैं। खनिज अपराध के आरोपी के पास एक विकल्प होता हैं कि वह अपराध का प्रषमन कर सकता हैं। आरोपी प्रशमन के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र हैं, प्रशमन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता हैं।
न्यायालय कलेक्टर बैतूल में खनिज अपराध के आरोपी के साथ दोहरा अन्याय हो रहा हैं। आरोपी प्रशमन का आवेदन देता हैं तो उस पर अर्थदण्ड का लगा दिया जाता हैं। दूसरा अन्याय भू राजस्व संहिता की धारा 245 (7) में अर्थदण्ड लगा दिया जाता हैं। न्यायालय की इस प्रक्रिया में 6 माह का समय गुजर जाता हैं तब तक पुलिस थाने में वाहन जप्त अवस्था में खड़ा रहता हैं।
मप्र रेत नियम 2019 के नियम 20 में प्रशमन एवं अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया हैं। अर्थदण्ड की तुलना में प्रशमन राशि 50 फीसदी कम होती हैं। अर्थदण्ड 02 लाख रूपए का होता हैं तो प्रशमन राशि 1 लाख रूपए की होती हैं। लंबी अवधी तक विचारण की कार्यवाही से बचने के लिए खनिज आरोपी प्रशमन के लिए आवेदन करता हैं तो न्यायालय कलेक्टर बैतूल प्रशमन आवेदन को खारिज करके अर्थदण्ड आरोपित कर देता हैं।
न्यायालय कलेक्टर बैतूल के रा0प्र0क्र0 0229/अ-67/2019-20 में अवैध परिवहन के आरोपी द्वारा कारण बताओं सूचना पत्र का जवाब दिया गया। प्रषमन का आवेदन दिया गया। न्यायालय द्वारा खनिज के अवैध परिवहन के मामले में 01 लाख रूपए प्रशमन राशि आरोपित करने के बजाए 02 लाख रूपए का अर्थदण्ड आरोपित कर दिया गया हैं तथा 42 हजार रूपए का अर्थदण्ड भू राजस्व संहिता की धारा 245 (7) का अर्थदण्ड आरोपित कर दिया गया हैं।
इसी तरह रा0प्र0क्र0 242/अ-67/2019-20 में ट्रैक्टर ट्रली से खनिज के अवैध परिवहन के मामलें में न्यायालय द्वारा जारी कारण बताओं सूचना पत्र का जवाब दाखिल किए जाने के बाद आरोपी दीपक उईके द्वारा प्रषमन हेतु आवेदन पत्र दिया गया। न्यायालय द्वारा प्रषमन राषि 10 हजार रूपए का आदेश करने के बजाए 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड के साथ भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 247 (7) में 8 हजार 4 सौ रूपए का अर्थदण्ड आरोपित कर दिया गया हैं।
विधि, न्याय एवं मानवाधिकार का सवाल उठाते हुए भारत सेन अधिवक्ता कहते हैं भू- राजस्व संहिता 1959 की धारा 247 (7) अवैध उत्खन्न के मामलों में लागू होती हैं, अवैध परिवहन के मामलों में लागू नहीं होती हैं, इसलिए अर्थदण्ड आरोपित नहीं किया जा सकता हैं। मप्र रेत नियम 2019 के अध्याय ग्यारह के नियम 20 में प्रशमन एवं अर्थदण्ड राशि का विधान किया गया हैं। प्रशमन आवेदन को बिना किसी वैधानिक कारण के खारिज नहीं किया जा सकता हैं। अर्थदण्ड का आदेश तो मामले के गुणदोष पर निराकरण पर ही किया जा सकता हैं।
राजस्व न्यायालय की कार्यप्रणाली पर पहली बार सवाल नहीं उठ रहे हैं, बल्कि पहले भी उठते रहे हैं। राजस्व न्यायालय में खनिज अपराध के मामलों में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए सरकारी अधिवक्ता उपस्थित नहीं होते हैं तो न्यायालय भी आदेश करने से पूर्व हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांतो का अवलोकन कर सही वैधनिक स्थिति को जानने का प्रयास नहीं करती हैं जिस कारण अदालत से आपत्तिजनक आदेश हो जाते हैं तो राजस्व न्याय प्रणाली पर ही सवाल उठ जाते हैं। राजस्व न्यायालय खनिज अपराध के मामलों में सरकारी संपत्ति की चोरी 379 भा0द0वि0 का अपराध दर्ज करवा रहीं हैं लेकिन खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 4/21 (1) में दांडिक कार्यवाही के लिए आदेष नहीं कर रहीं हैं तो खनिज विभाग बैतूल भी अधिनियम के तहत दांडिक प्रकरण दांडिक न्यायालय में पेष नहीं कर रहा हैं। खनिज अपराध को नियंत्रत करने की जिला प्रषासन की नियत पर सवाल उठना लाजमी हैं।

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