देश को पुर्व राष्ट्रपति के आर नारायण की आवश्यकता है आर आर बंसोड देश के पहले दलित राष्ट्रपति डॉ. के. आर नारायण जो कि केरल से थे उनका सम्पूर्ण जीवन सघर्ष से भरा है वे केरल के एक छोटे से गांव में फूस की झोंपड़ी में सन् 1920 में पैदा …
Read More »सोच
14अक्टुम्बर धम्म प्रवर्तन दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं,जब तक सामाजिक स्वतंत्रता नही तब तक कानुनी स्वतंत्रता किसी काम की नही,समता स्वतंत्रता बंधुत्व और स्वाभिमान के लिए बौद्ध धर्म अपनाया बाबासाहेब ने।
जातिवाद, भेदभाव राष्ट्र निर्माण के लिए बड़ी बाधक है
अब्राहम लिंकन के पिता जूते बनाते थे, जब वह राष्ट्रपति चुने गये तो अमेरिका के अभिजात्य वर्ग को बड़ी ठेस पहुँची! सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा, मिस्टर लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता मेरे और मेरे …
Read More »मोदी के राष्ट्रवाद का नशा जब उतरेगा तब क्या होगा..परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
मोदी के राष्ट्रवाद का नशा जब उतरेगा तब क्या होगा..परिवर्तन प्रकृति का नियम है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना जर्मनी के हिटलर से करना कोई अतिशयोक्ति नहीं लगता है। हिटलर की पहली जीत पर जिस तरह हिटलर की जय जयकार जीत और लोकप्रियता से अंदाजा लगाया जा सकता …
Read More »जो धर्म तुम्हे इंसान नहीं समझता वह धर्म नहीं अधर्म है गुलाम बनाने की साज़िश है-बाबा साहेब आंबेडकर
देश के मुलाकात निवासी एससी एसटी ओबीसी तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्म शास्त्र व मन्दिर नही है बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा, व्यवसायी बनाने वाले रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है।* *तीर्थयात्रा, व्रत ,पूजा-पाठ व कर्मकांड में कीमती समय बर्बाद मत करो।धर्म ग्रन्थों का अखण्ड पाठ …
Read More »समाज का प्रतिनिधित्व करने के बजाय पार्टी के चापलूस हरिजन नेता बन कर रह गए ।
जब 1952 में प्रथम चुनाव के दौरान बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी चुनाव हार गए और उनके सामने खड़ा हुआ व्यक्ति अछूत काजरोल्कर चुनाव जीत गया,तब काजरोल्कर बाबासाहेब अम्बेडकर से मिलने गया,तो उसने बाबासाहेब अम्बेडकर जी से मुस्कुराते हुए कहा कि साहब ,आज मैं चुनाव जीता हूँ मुझे वास्तव में …
Read More »तुम्हारा उद्धार करने यहां कोई नहीं आयेगा, तुम्हें तुम्हारा उद्धार खुद करना पड़ेगा-डॉ.बाबासाहेब आम्बेडकर
तुमारा उद्धार करनें यहाँ कोई नहीं आएगा- तुम्हें तुम्हारा उद्धार खुद करना पड़ेगा- अन्य देशों का समाज जब विपत्ति में पड़ा तो वहां के लोगों अने एकता स्थापित कर अपना उद्धार खुद कर लिया लेकिन दुःखद कि भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ क्योंकि यहां के लोग अपनें उद्धार के …
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