१४अप्रेल२३ भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की १३२वी जयंती
बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों का लोहा मानती है सारी दुनिया।
१४अप्रेल २३को भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की १३२वी जयंती है। बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती भारत में ही नही बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। इस वर्ष के १४ अप्रैल में अमेरिका में वर्ल्ड बैंक,डब्लु एच ओ और सामाजिक संगठनों ने मिलकर सौ से ज्यादा देशो के साथ बड़े स्तर पर जयंती मनाने का निर्णय लिया है।उद्देश है कि दुनिया में बाबा साहेब आंबेडकर के विचार और मानवता स्थापित करना है।सारी दुनिया में बाबा साहेब आंबेडकर के विचार और चिंतन पर शोध किया जा रहा है। और हम लोग बाबा साहेब आंबेडकर के जीवन से परिचित तो हो गये लेकिन उनके मानवतावादी विचारों को न समझ रहे ना ही चिंतन कर रहे है। बाबा साहेब आंबेडकर एक मात्र ऐसे भारतीय है जिनका स्टेचू लंदन के संग्रहालय में काल मार्स्क के साथ लगा हुआ है। विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने द मेकर युनिवर्सल नामक किताब में मानवता पर काम करने वाले महान महापुरुषों की सुची जारी की जिसमें बाबा साहेब आंबेडकर को चौथे नंबर रखा है। पहले नंबर पर सम्यक समबुद्ध तथागत भगवान गौतम बुद्ध, दुसरे नंबर पर जैनियों के महावीर, तिसरे नंबर पर सम्राट अशोक को रखा गया है।कोलम्बिया युनिवर्सिटी ने अपने युनिवर्सिटी से पढ़कर निकले प्रतिभावान छात्रों में जिन्होंने मानवता पर काम किया विश्व विख्यात होने वाले छात्रों में बाबा साहेब आंबेडकर को पहला स्थान देकर स्टेचू स्थापित किया है। छोटा-सा देश वियतनाम जिसने दुनिया के शक्तिशाली देश अमेरिका की परस्त किया उनके यहां से राष्ट्रपति भारत आते हैं तो बाबा साहेब आंबेडकर की चैतभूमी पर सबसे पहले जाते है बाबा साहेब को अभिवादन करते वहां से मिट्टी उठाकर अपने साथ ले जाते है।जब उसने मिट्टी उठाकर ले जाने के सवाल पर पुछा जाता है तो जवाब मिलता है कि यह बाबा साहेब आंबेडकर चैत्यभूमी की मिट्टी हमारे लिए पुज्यनीय है, इसी बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों से हमने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को शिक्त्त दे पाते है।यह प्रमाणित है कि सारी दुनिया बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों का लोहा मानती है। भारत में बाबा साहेब आंबेडकर की मुर्तीया टुटने के पीछे भी कारण है क्योंकि बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों से वैमनस्यता फैलाने लोग डरते है। बाबा साहेब आंबेडकर ने भारतीय वैदिक अमानवीय जातिगत भेदभाव छुआछूत को बहुत करीब से देखा और महसूस भी किया और भुगतभोगी रहे हैं। उस समय के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे विद्वान व्यक्ति होते हुए भी कोई किराया का मकान देने के लिए तैयार नही रहा है। बड़ोदा के राज्य में चपरासी फाइनल फेंक कर देता था। पीने के पानी के घड़े से पानी निकाल कर पी नहीं सकते थे। बाबा साहेब आंबेडकर शीलवान स्वाभिमानी व्यक्ति थे। किसी की जीहुजूरी कभी नही की। जब कालेज प्रोफेसर थे और उनको चार सब्जेक्ट की जगह छः सब्जेक्ट पढ़ाने कहा तो उन्होंने साफ मना कर दिया कहा कि मैंने चार सब्जेक्ट पढ़ाने की नौकरी की है उतना ही करुगा ज्यादा नही। झुठ झापट छल-कपट से हमेशा दूर रहें है । बाबा साहेब आंबेडकर की शिक्षा मे बहुत बहुत रुचि थी, बाबा साहेब रोज अठारह-अठारह घंटे पढ़ाई करते थे। शिक्षा को बहुत महत्व दिया है उनका कहना था कि शिक्षा वह शैरनी का दुध जो इसको पियेगा वह शेर की तरह दहाडेगा। बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा कि शिक्षा मानसिक विकास करता है, प्रेरित के रास्ते खुलते है, आर्थिक सुधार होता है व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है। सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है और प्रत्येक व्यक्ति का शिक्षा ग्रहण करने का जन्म सिद्ध अधिकार है। बाबा साहेब आंबेडकर ने तीन मंत्री दिये है शिक्षित बनो संगठित रहो और संघर्ष करो। बाबा साहेब आंबेडकर भारत में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति थे ३२ डिग्रियां थी उनके पास ९भाषाओ के ज्ञाता थे। शिक्षा के प्रतिक संबाल आफ नालेज माने जाते है बाबा साहेब आंबेडकर।आज महिलाओं को जो बराबरी का अधिकार मिला है वह बाबा साहेब आंबेडकर की देन है। सन् १९५१-५२के दरम्यान संसद में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिलने के लिए हिन्दुकोड बील लाते थे जो संसद में पास नही होने से बाबा साहेब आंबेडकर ने संसद में मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था। बाबा साहेब आंबेडकर महिलाओं की प्रगति से देश की प्रगति मानते थे। बाबा साहेब आंबेडकर एक अच्छे अर्थर्शास्त्री समाजिक राजनीति धर्मशास्त्री पत्रकार संपादक लेखक मजदूर नेता थे। बाबा साहेब आंबेडकर ने अंत समय तक समाज सुधार कार्य किया उन्होंने अपने लोगों को संदेश दिया कि मैंने सामाजिक कारंवा बड़े मुस्कील से यहां तक लाया है इसको आगे नहीं लेजा सकते हो कोई बात नही लेकिन इसे पिछे मत जाने देना। मेरे लोग अशिक्षित हैं यह समस्या नहीं लेकिन बात को नही मानते यह समस्या है।