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जाति से सामंतवाद मजबूत होता है: डा. बीपी अशोक वैज्ञानिक विचार ही व्यक्तित्व का विकास कर सकती है: एसपी क्राइम हिन्दू कोड बिल महिलाओं के मुक्ति का केन्द्र है:अनीता भारती

जाति से सामंतवाद मजबूत होता है: डा. बीपी अशोक

वैज्ञानिक विचार ही व्यक्तित्व का विकास कर सकती है: एसपी क्राइम

हिन्दू कोड बिल महिलाओं के मुक्ति का केन्द्र है:अनीता भारती

प्रयागराज 24 जुलाई, साहित्यकार यदि चाहे तो समाज मे अमूलभूत परिवर्तन हो सकता है उक्त बातें प्रबुद्ध फाउंडेशन, देवपती मेमोरियल ट्रस्ट, डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) और बाबासाहेब शादी डाट काम के संयुक्त तत्वावधान में हिंदुस्तानी एकेडमी के सभागार में आयोजित बहुजन महिला साहित्यकारों व सोसल ऐक्टिविष्टो के एकदिवसीय महासम्मेलन व “वर्तमान परिदृश्य में हिन्दू कोड बिल: जाति और पितृसत्ता” विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को सम्बोधित करते हुए अपर पुलिस अधीक्षक पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय डा. बीपी अशोक ने कही। उन्होंने कहा कि हिन्दू कोड बिल महिलाओं के चतुर्मुखी विकास के उद्देश्यों को पूरा करती है। जातीय व्यवस्था ने सामाजिक आन्दोलन को रोका है। आज भी कर्नाटक में अस्सी हजार के करीब देवदाशिया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। जाति से सामंतवाद मजबूत होता है। बाल विवाह जातीय व्यवस्था का पोषक है। जातीय के कारण ही आनर किलिंग को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि पर्दाफाश साममाजिक परिवर्तन व सामाजिक परिवर्तन में बाधक है। बीपी अशोक ने कहा कि बाबासाहेब ने महिलाओं के उत्थान के लिये हिन्दू कोड बिल में सभी व्यवस्थाएं स्थापित कर दी थी इसी के चलते भारत के तमाम संवैधानिक पदों पर महिलाये दिख रही है। उन्होंने प्री मैरिज काउंसिलिंग और पे बैक टू सोसाइटी पर जोर देते हुये लोगों से अपील की। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों की जिम्मेदारी है कि वो समाज की विषमतावादी व्यवस्थाओं को दूर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान का आह्वान किया। उन्होंने खेद जताया कि प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों में कार्य कर रही एनजीओ हिन्दू कोड बिल के समर्थन में आगे नही आ रही है।

उक्त अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि एसपी क्राइम सतीश चन्द्र ने शिक्षा पर विशेष बल देते हुये कहा कि वैज्ञानिक विचार से ही व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो सकता है इसकी शुरुआत हमे अपने घरों से करनी होगी। सामाजिक समरसता के लिये सभी को संगठित होना होगा जो समाज व देश के लिये हितकर है। उन्होंने युवा वर्ग के जिम्मेदार अधिकारियों से अपील की है कि वे पीड़ित लोगों की सहायता करें। जाति को छुपाने की। जरूरत नहीं है कानून व संविधान सभी को सरंक्षण देता है। प्रज्ञा दृष्टिकोण व शिक्षा पर उन्होंने विस्तृत चर्चा की।

 दो सत्र में चले सेमिनार की अध्यक्षता करते हुये दलित लेखक संघ की अध्यक्ष अनिता भारती ने कहा कि हिन्दू कोड बिल महिलाओं के मुक्ति का केन्द्र है। समाज मे दो धाराएं सदैव चलती रही है एक समाज हित मे तो दूसरा समाज विरोध में। हमारी संस्कृति भाईचारे की संस्कृति है।

बतौर मुख्य वक्ता महर्षि दयानन्द विवि रोहतक हरियाणा की जर्नलिज्म एन्ड मास कम्युनिकेशन की प्रोफेसर सुमेधा डी बौद्ध ने कहा कि सभी धर्मग्रंथ पुरुषों द्वारा लिखे गए है जिसमे आधी आवादी की उपेक्षा की गई है।

       इस राष्ट्रीय सेमिनार में पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय के अपर पुलिस अधीक्षक डा. बी.पी. अशोक और प्रयागराज जिले के पुलिस अधीक्षक (अपराध) सतीश चन्द्र को डा.अम्बेडकर समाज सेवा सम्मान-2022 देकर सम्मानित किया गया तो वही दूसरी ओर एसपी क्राइम और एडिसन एसपी डा. बीपी अशोक ने दौना काण्ड की पीड़िता शिवपतिया को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।

        इस अवसर पर छत्तीसगढ़ से गायत्री सुमन, झारखण्ड से सुधा टूडू, पंजाब से हरिप्रीत कौर, हरियाणा से मोहिनी, जालौन से रेहाना मंसूरी, जौनपुर से उषा, कोरांव से सभ्या शाक्या, जेएनयू से शुभी ने अपने विचार रखे।

    कार्यक्रम में डा.दीनानाथ, डा. विक्रम हरिजन, भारत सिंह, डा. एसपी सिद्धार्थ, वीके सिद्धार्थ, एलके अहेरवार के साथ दर्जनों विश्वविद्यालयो के सैकड़ों शोधार्थी उपस्थित रहे। कुशल संचालन प्रबुद्ध फाउंडेशन के सचिव उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामबृज गौतम ने की।

 

                           आईपी रामबृज

                         एडवोकेट हाईकोर्ट

                                  सचिय

 

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