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प्राइवेट कंपनिया करती है दोनो तरफ से धन वसूली ॽ

प्राईवेट फायनेंस कंपनिया करती है दोनो तरफ से धन वसूली ॽ

प्राईवेट फायनेंस कंपनी श्रीराम मोटर फायनेंस कंपनी द्वारा अपने ग्राहको पर चैंक अनादरण धारा 138 का मुकदमा चला रखा हैं। इसके अतिरिक्त मध्यस्था एवं सुलाह अधिनियम 1996 में एक मुकदमा चल रहा हैं। कंपनी दोनो तरफ से धनराशि की वसूली कर रहीं हैं। 

प्राईवेट फायनेंस कंपनी का कारोबार चलता कैसे हैं? किश्त अदागी में चूक होने पर कंपनी सबसे पहले मोटर यान को जप्त कर लेती हैं और निलाम कर देती हैं। इसके बाद मध्यस्था एवं सुलाह अधिनियम 1996 में एक मध्यस्थ नियुक्त किया जाता हैं जो कि मध्य प्रदेश राज्य के बाहर के अन्य राज्य का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता हैं। कंपनी का प्रधान कार्यालय जिस राज्य में स्थित होता हैं, उसी राज्य में मध्यस्था एवं सुलाह अधिनियम 1996 की वैधानिक कार्यवाही संचालित होती हैं जिसमें एकपक्षीय आदेश पारित होता हैं और वसूली के जिला न्यायालय में मामला पेश कर दिया जाता हैं। उदाहण के लिए फायनेंस कंपनी का प्रधान कार्यालय आंध्रप्रदेश राज्य में और ऋण राशि मध्यप्रदेश के बैतूल जिले मे दी गई हैं लेकिन मध्यस्था एवं सुलाह अधिनियम 1996 में मध्यस्थ की नियुक्ति आंध्रप्रदेश राज्य में की जाती हैं और वसूली की कार्यवाही जिला न्यायालय बैतूल में की जाती हैं। इसमें कंपनी को बड़ा फायदा होता हैं।

ज्यादातर मामलों में देखा गया हैं कि फायनेंस कंपनी के ग्राहक मुकदमा लड़ते नहीं हैं इसलिए मध्यस्था एवं सुलाह अधिनियम 1996 में एक पक्षीय पंचाट धोषित हो जाता हैं। फायनेंस कंपनी के विरूद्ध मुकदमा जीता जा सकता हैं। सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के पूर्व कई निर्णय हैं जिसमें फायनेंस कंपनी मुकदमा हार गई हैं और कंपनी का ग्राहक मुकदमा जीत गया हैं। इन फैसलो को देखते हुए मुकदमा लड़ा जाए तो मध्यस्था एवं सुलाह अधिनियम 1996 एवं चैंक बाउंस कानून धारा 138 का मुकदमा जीता जा सकता हैं। Bharat Sen Advocate Chambe No 24, Civil Court BETUL MP 9827306273। 

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