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अन्न उत्सव नही प्रचारोत्सव है, सरकारी मद राशि का दुरोपयोग सरेआम

  1.  अन्नोत्सव नहीं प्रचारोत्सव, सरकारी मद राशि का दुरोपयोग सरेआम

सुनील मर्सकोले द्वारा 

बैतूल। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सरकार द्वारा प्रदेश में अन्न उत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर पात्र हितग्राहियों को खाद्यान्न बांंटा गया। इस आयोजन को विधायक निलय डागा ने आडे हाथोंं लेेेते हुए कहा कि यह अन्नोत्सव नहीं प्रचारोत्सव है। पात्र हितग्राही को जब पहले से ही राशन मिल रहा है तो यह पाखंड रचने की क्या आवश्यकता है। श्री डागा ने आरोप लगाया कि प्रचार की मंशा से सरकार ने अन्नोत्सव के तहत मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की फोटो लगे बेग (झोले) में राशन वितरण किया। इन बेगों की छपाई में लाखों रूपये खर्च हुए हैं। सभी सोसायटीयों पर टेन्ट लगाना अनिवार्य किया किया गया। इसमें भी हजारों रुपये खर्च हुए होंगे। अमूमन 40 से 50 हजार रुपये प्रति सोसायटी पर खर्च हुए। जनता की गाड़ी कमाई के लाखों रूपये का मोदी कम्पनी अपने प्रचार के लिए दुरूपयोग कर रही है। इसके साथ-साथ हर सोसायटी पर बारिश के समय में रंग रोगन के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए।

विधायक का कहना कि जब प्रदेश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा था, जनता दाने दाने के लिए मोहताज थी तब सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सहायता आमजन को नहीं की गई। लेकिन अब प्रधानमंत्री एवं उनकी पार्टी द्वारा अपना प्रचार- प्रसार करने के लिए अन्न उत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय मद का दुरुपयोग किया जा रहा है। विधायक का आरोप है कि 5 रुपये का गेहूं देने के लिए 50 रुपये का थैला तैयार किया गया। जिसमें प्रधानमंत्री एवं शिवराज सिंह चौहान ने अपनी फोटो चस्पा कर अपना प्रचार करने का माध्यम बना दिया है। पहली व दूसरी लहर के दौरान जब आमजन मौत की लड़ाई लड़ रहा था तब राष्ट्रीय मद में कमी की बात की जा रही थी। लेकिन अब प्रचार- प्रसार करने के लिए राष्ट्रीय मद का उपयोग किया जा रहा है। विधायक ने कहा एक दिन अन्न दे देने से सिर्फ एक दिन का गुजारा हो सकता है, लेकिन रोजगार प्रदान करने से व्यक्ति स्वयं आत्मनिर्भर बनेगा अपना पालन पोषण कर सकेगा। विधायक ने कहा जिनके कार्ड नहीं हैं उन्हें भी अनाज प्रदान किया जाए।  पात्रता पर्ची नहीं होने के कारण सैकड़ों हितग्राही राशन दुकानों से अनाज लिए बिना ही वापस लौटने को विवश हो रहे हैं। नए बीपीएल कार्ड धारी परिवार को कूपन नहीं मिलने के कारण मुफ्त अनाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अन्नोत्सव का कोई औचित्य नहीं है।

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