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देश में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाया जा रहा टिका प्रमाणित नही है कि कोविड19 से बचायेगा, टीका लगाना स्वच्छिक है अनिवार्य नहीं

कोरोनावायरस से बचाव के लिए सरकार कोरोना वैक्सीन के टीके लगाने का अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा।कोरोना वैक्सीन के टीके लगाने के लिए अखबारों के फोटो छाप राजनैतिक सामाजिक अवसरवादी लोग डराकर दबाव भी बना रहे। टीके निशुल्क लगाने के पीछे राजनीतिक हथकंडा है, जिसको समझने के बजाय लोग अभी अंधे भक्तो की तरह ही बने हुए है। जानकारी होती है कि देश में अभी कुछ बदला नही है नकली इंजेक्शन दवाईयों का इलाज के नाम से लुटपाट चल रहा है।वाट्साफ के जरिए जानकारी होती है कि कोरोना के बचाव के लिए जो वैक्सीन के टीके लगाए जा रहे है वह कोरोना के बचाव के लिए  प्रमाणित नही है। प्रमाणिता के लिए लम्बी प्रक्रिया है। वैक्सीन सही है या ग़लत के लिए कम से कम पांच छः साल का समय लगता है।लगाते जा रहे कोविड19 टीके FDI और भारतीय स्वास्थ अधिकारियो , वैज्ञानिकों द्वारा एफरूल अथेन्टिक नहीं है। यह वैक्सीन एमरजेंसी में इयुज लगाया जा रहा है।इसका साइड इफेक्ट्स भी हो सकता है और नहीं भी हो सकता है। भविष्य कोरोनावायरस से बचाव हो सकता है इसकी गारंटी नहीं है । वैैैैैैक्सीन के टीके का पहली खुराक से शरीर में एंंटीबड़ी बनता है इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।

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