Breaking News

बौद्ध व्यक्ति के परिभाषा की अभ्यासिका चलाई जानी चाहिए तभी बौद्धों का समाज निर्माण होगा. –

बौद्ध समाज के निर्माण के लिए बौद्ध व्यक्ति के पहचान की अनिवार्य शर्त. बौद्ध व्यक्ति की पहचान का आधार केवल और केवल इन्हीं मापदंडों से आंका जा सकता हैं.(1) जो व्यक्ति जिम्मेदार और जवाबदेही होता है (2) जो व्यक्ति सत्य और न्याय के पक्ष मे होता है (3) जो व्यक्ति विज्ञान और मानवता के पक्ष मे होता है (4) जो व्यक्ति आधुनिकता और सौंदर्य के पक्ष मे होता है (5) जो व्यक्ति धैर्य और साहस के पक्ष मे होता है. इस प्रकार जो व्यक्ति जिम्मेदारी, जवाबदेही, सत्य, न्याय, विज्ञान, मानवता, आधुनिकता,सौंदर्य धैर्य और साहस इन सब की परिभाषा को भलीभाँति जानता, समझता और इनपर अमल करता है, वही सही मायने मे बौद्ध कहलाने का हकदार है.यदि किसी व्यक्ति मे इन बातों मे से किसी एक भी बात की कमी है तो वह बौद्ध व्यक्ति कहलाने का पात्र नही. अनिवार्यतः व्यक्ति मे इन सभी बातों का होना जरूरी है. जिम्मेदारी की परिभाषा:- अपने मुल्य, आदर्श और निती तत्वों की सही पहचान कर उन्हें महत्व देना जिम्मेदारी है. जवाबदेही की परिभाषा:- विरोध और असहमति इन दोनों का फर्क समझते हुए समस्या के निवारण का सही तालमेल ही जवाबदेही है. सत्य की परिभाषा:- अपने वर्तमान क्षण या जिवन को निर्दोष रखना ही सत्य है. न्याय की परिभाषा:- समता के साथ न्याय होना चाहिए ताकि समता हावी न हो सके, स्वातंत्र्य के साथ न्याय होना चाहिए ताकि स्वातंत्र्य हावी न हो सके, बंधुत्व के साथ न्याय होना चाहिए ताकि बंधुत्व हावी न हो सके, और न्याय के साथ न्याय होना चाहिए ताकि न्याय हावी न हो सके इस प्रकार न्याय सर्वोपरि है. विज्ञान की परिभाषा:- नैतिकता के साथ किया गया कल्याणकारी संशोधन ही विज्ञान है. मानवता की परिभाषा:- प्रेम और मैत्री के साथ न्याय का होना मानवता है. आधुनिकता की परिभाषा:- अपने वर्तमान कार्यों को बिना कठिनाई के आसानी से कर पाना आधुनिकता है.इस प्रकार सरलता और सहजता मे आधुनिकता होती है. सौंदर्य की परिभाषा:- आधुनिकता के प्रति सापेक्ष दृष्टिकोण है सौंदर्य है. धैर्य की परिभाषा:- अपने वर्तमान कार्यों को सही तरीके से करना ही धैर्य है. साहस की परिभाषा:- अपने वर्तमान कार्यों को करते हुए अपने प्रयत्नों की पराकाष्ठा करना साहस है. इस प्रकार बौद्ध व्यक्ति कि पहचान के मापदंडों की परिभाषा समझने के बाद यह जानना भी जरूरी है कि बौद्ध समाज के निर्माण की प्रक्रिया का आरंभ कहा से किया जाता है. वर्तमान मे बौद्ध समाज के निर्माण की प्रक्रिया का आरंभ होता है धम्मदिक्षा और 22 प्रतिज्ञाओंकी शिक्षा ग्रहण करने से. उसके बाद की प्रक्रिया है अपने स्वाभिमान शुन्य उपनामों को बदलकर स्वाभिमान पुर्ण उपनाम धारण करना. उसके बाद बौद्ध होने का और स्वाभिमान पुर्ण उपनाम का पंजिकरण करना एवं अपने आवश्यक दस्तावेजों मे पंजिकरण के आधार पर बदलाव करना. इसके साथ ही बौद्धों का यह आद्य कर्तव्य है कि उन्होंने हर रविवार को विहार जाना चाहिए. विहार मे वंदना, बुद्ध और उनका धम्म ग्रंथ का वाचन एवं समीक्षात्मक चर्चा का आयोजन किया जाना चाहिए. इसके साथ ही वज्जि प्रेरित सात नियमों के पालन हेतु जनमत तयार किया जाना चाहिए. जनमत तयार होने पर नियमों को पालन सही तरीके से पालन करने हेतु उपोसथ नाम की अपराध स्विकृती की विवेक को प्रोत्साहित करने वाली संस्था कार्यरत करनी चाहिए. इसके साथ ही अलग अलग संकल्पनाओं, मान्यताओं, आदर्शों को एक करने के लिए बौद्ध व्यक्ति के परिभाषा की अभ्यासिका चलाई जानी चाहिए. यदि वर्तमान मे बौद्ध यह काम कर गए तो बौद्ध यह निश्चित कर सकते है कि बौद्धों मे बंधुत्व सर्वमान्य एवं प्रभावशाली हो. इस प्रकार जब बौद्धों मे बंधुत्व सर्वमान्य एवं प्रभावशाली होगा तभी बौद्धों का समाज निर्माण होगा.

sunil boddh

Check Also

सांसद, विधायक, अपने समाज का प्रतिनिधित्व करने के बजाय पार्टियों के हरिजन नेता बनकर रह गए है ॽ

🔊 इस खबर को सुने Kaliram सांसद, विधायक, अपने समाज का प्रतिनिधित्व करने के बजाय …